Saturday 15 October 2016

समाजी संगठन व सभी मुसलमानों से मुखलिसाना अपील

Mohammed Chand Shaikh I Blog Post No. 159. I Date : 16.10.2016.

अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाहि बरकातुहु

मुस्लिम परसनल लॉ खतरे में हैं, एैसे में हमें क्या करना है?

केंद्रीय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाखिल किया है, जिसमें साफ़ साफ़ कहा गया है कि तीन त़लाक़ की भारत में इजाज़त नहीं दी जा सकती,मतलब ये है कि तीन त़लाक़ चाहे जिस तरह भी दी जाये,एक मजलिस में तीन बार त़लाक़ को तीन नहीं माना जायेगा,और मियॉं बीवी को अलग नहीं किया जायेगा, यानी भारतीय संविधान के मुत़ाबिक़ तीन तलाक़ देने के बाद भी वैवाहिक रिशता जूँ का तूँ  बाक़ी रहेगा, जबकि शरई लॉ में ये हराम है.

सरकार का ये नज़रिया शरई लॉ,(कुरान हदीस) के खिलाफ़ है,और तथाकथित समाजी बुराईयों पर रोकथाम के नाम पर इस्लाम पर हमला है,साथ ही संविधान के संहिता 25(1)26(B) में दिये गये सभी देश वासियों को मज़हबी आज़ादी को भी खतम करना है, एैसे में  देश भर के सभी संगठनों के जिम्मेदारों,मस्जिदों के इमामों ,मदरसों के उलमा, जिम्मेदार,और सभी दानिशवरों समेत सभी मुसलमानों से अपील है कि मुस्लिम परसनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी किये गये फार्म का प्रिन्ट आऊट करायें, सभी मुसलमानों के घर घर जाकर, औरतों  कि राय ले और फार्म भरवायें, उस पर उनसे साईन करवायें,और दिये गये पते पर रजिस्ट्री डाक से भेज दें.

साथ ही सभी इमामों से अपील है कि जुमा की तक़रीर में,मुसलमानों को इस नाजुक मुआमले को समझायें,तलाक़ के हक़ के ग़लत इस्तिमाल को रोकने की ताकीद करें,और मुस्लिमों को समझायें कि तलाक़ के केसों को शरई पंचायतों,दारुल क़ज़ाओं से हल करवायें,अदालतों में हरगिज़ ना जायें.

इस पूरे मुआमला की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है,बोर्ड और सरकार दोनों ने ही अपना अपना हलफ़नामा दाखिल कर दिया है, एैसे में मुस्लिम औरतों के हस्ताक्षर के साथ ये फार्म बोर्ड को मज़बूती देगा, और सुप्रीम कोर्ट को ये समझाने के लिये काफी होगा कि देश की 90% मुस्लिम महिलायें कुरान शरीयत के मुताबिक़ ही अपनी समाजिक वैवाहिक जिंदगी गुज़ारना चाहती हैं,और शरीयत की तरफ़ से मर्दों को दिये गये तीन त़लाक़  के हक़ पर उन्हें कोई आपत्ति या  शिकायत नहीं है.

तो आईये हम सब मिलकर मुस्लिम परसनल लॉ बोर्ड के साथ क़दम से क़दम मिलायें और सरकार कोर्ट को ये बतादें कि हम मुसलमान अपनी शरीयत,अपने कुरान और इस्लाम के साथ ही इस देश में रहेंगें,और इनमें किसी की भी दखलअंदाज़ी हरगिज़ बरदाश्त नहीं करेंगें...इंशाअल्लाह

 मोहम्मद चाँद शेख



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